सिक्के के दो पहलू
सिक्के के दो पहलू
शरीर तो हमारा जरूर है
पर चलने वाला कोई और है
हानि लाभ और यश अपयश
सब है प्रभु जी के हाथों में।
सुख दुःख और अमीरी गरीबी ने
कभी बिगाड़ा तो कभी बनाया है जीवन को
अपने मन को स्थिर कर लें
सिक्के के दो पहलू होते है।
सोचता हूं अक्सर मैं यही कि
गुलाब फूल के पेड़ में,कांटे क्यूं होता है
मन में है कई तर्क वितर्क
कांटे क्या गुलाब की सुरक्षा करते है।
यह दृश्य देख,कोई पुछेगा तो क्या कहूंगा मैं
क्या स्वर्ग में भी होगा काला कंकड़
नये तजुर्बों से नित सीखें
सिक्के के दो पहलू होते है।
अगर करना है कुछ हटकर तो
आगे बढ़े चलो,बढ़े चलो
चाहे हार मिलें या जीत
मंजिल तक हमें पहुंचना है।
किसी की आलोचना से ना डर
अपने हौसले बुलंद कर
जब सुख ही स्थिर नही रह पाता है तो
दुःख ही स्थिर कहां रह पायेगा
सिक्के के दो पहलू होते है।
नूतन लाल साहू
Gunjan Kamal
30-Apr-2024 08:09 AM
बहुत खूब
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Mohammed urooj khan
29-Apr-2024 01:50 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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